स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँ चमत्कारिक जड़ी-बूटियाँउमेश पाण्डे
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क्या आप जानते हैं कि सामान्य रूप से जानी वाली कई जड़ी बूटियों में कैसे-कैसे विशेष गुण छिपे हैं?
नींबू
नींबू के विभिन्न नाम
संस्कृत में- निम्बूक, हिन्दी में- नींबू, कागजी नींबू, बंगाली में- कागजी लेबु, पातिनेबू, मराठी में- लिंबू कागदी लिंबु, अरबी में- लीमू, फारसी में- लीमू, लीमूए कागजी, अंग्रेजी में- Lime (लाइम),
लेटिन में-सिट्रस अरेशिफोलिआ (सीटुस आउरांटफोलिआ) (Citrusaurantifolia)
नीबू का संक्षिप्त परिचय
नींबू भारतवर्ष का आदिवासी पौधा है। इसके जंगली वृक्ष प्रचुरता से पाये जाते हैं। मध्यभारत, मध्यप्रदेश एवं सतपुड़ा के जंगलों में भी यह स्वयंजात होता है। समस्त भारत में काफी परिमाण में नींबू के वृक्ष लगाये जाते हैं। नींबू के छोटे झाड़ीनुमा कटीले वृक्ष होते हैं। पत्तियां छोटी तथा पर्णवृन्त छोटे एवं सपक्ष होते हैं। पत्तियों को मसलने से नींबू जैसी सुगंध आती है। पुष्प भी सुगन्धित होते हैं। फल गोल तथा चिकने होते हैं। छिलका कागज की तरह पतला, कच्चे फल का रंग हरा, पकने पर पीले रंग का हो जाता है जो गूदे के साथ चिपका रहता है। गूदा पीताभ, हरे रंग का, स्वाद में अत्यन्त खट्टा तथा सुगन्धित होता है।
नीबू का धार्मिक प्रयोग
धार्मिक कृत्यों के रूप में प्राय: नींबू का प्रयोग नजरदोष तथा किसी के द्वारा किये गये टोने-टोटकों से बचने के लिये किया जाता है। दूसरे रूप में यह तांत्रिक प्रयोगों में ही अधिक काम आता है। आश्चर्य इस बात का है कि जब भी किसी नजरदोष अथवा किसी के द्वारा किये गये टोने-टोटकों के प्रभाव को दूर करने के लिये नींबू का प्रयोग किया जाता है तो इसका तुरन्त ही प्रभाव देखने में आता है। यहाँ पर कुछ ऐसे ही प्रभावी उपायों के बारे में बताया जा रहा है। आप इनमें से कोई भी प्रयोग कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं:-
> नींबू का प्रयोग प्राय: नजर उतारने में अधिक किया जाता है। जब कभी किसी छोटे स्वस्थ बालक को नजर लगती है तो वह अकारण दूध उलटने लगता है, दूध नहीं पीता और निरन्तर रोने लगता है। चुप कराने के भरसक प्रयास करने के उपरांत भी रोता रहता है। ऐसी स्थिति में यह उपाय करें-एक बेदाग नींबू लें। उसको बीच में आधा काट दें। कटे भाग में थोड़े काले तिल अथवा काली उड़द के कुछ दाने रख कर दबा दें। अब नींबू के ऊपर सात बार काला धागा लपेट दें ताकि नींबू के भीतर की सामग्री बाहर न आने पाये। अब घर का कोई सदस्य इस नींबू को बालक पर से उल्टी तरफ से सात बार उसारा कर दे। उसारे के बाद नींबू को तत्काल बाहर आकर किसी चौराहे पर डाल दें। इस उपाय के कुछ समय पश्चात् बालक पर इसका प्रभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। वह रोना बंद करके दूध पीने लगेगा तथा पीया हुआ दूध उलटेगा भी नहीं।
> व्यवसाय वर्ग के व्यक्ति हमेशा नजर लगने के भय से ग्रस्त रहते हैं। इसलिये उनका प्रयास रहता है कि वे किसी भी प्रकार की नजर पीड़ा से बचे रहें। इसके लिये प्राचीनकाल से ही नींबू-मिर्च का प्रयोग होता आया है। यह प्रयोग अत्यन्त प्रभावी है इसलिये इस पर बहुत अधिक विश्वास भी किया जाता है। इसके लिये एक साफ एवं बेदाग नींबू तथा सात हरी मिर्च प्राप्त करें। पहले तीन मिर्च, फिर नींबू और इसके बाद चार हरी मिर्च को धागे में पिरो लें। इसे अपनी दुकान के मुख्यद्वार के ऊपर लटका दें। ऐसा आप मंगलवार को करें। इसके बाद आने वाले मंगलवार को टंगे हुये नींबू-मिर्च उतार कर फैंक दें और इसके स्थान पर नये नींबू-मिर्च लगा दें। ऐसा करने से किसी की भी बुरी नजर का प्रभाव नहीं आता है। व्यवसाय ठीक गति से चलता है तथा किसी के द्वारा किया गया टोटका भी निष्प्रभावी हो जाता है।
> अच्छा-भला स्वस्थ व्यक्ति जब एकाएक अस्वस्थ हो जाये, ली जाने वाली चिकित्सा का प्रभाव नहीं हो रहा हो तो समझे कि वह व्यक्ति अवश्य ही किसी की नजर पीड़ा का शिकार हो गया है। इस नजर को उतारने के लिये यह प्रयोग करें- एक पीला बेदाग नींबूलें।उसके ऊपर काली स्याही से ३०७ लिख दें। जो व्यक्ति नजरदोष से पीड़ित है, उसके ऊपर से सात बार उलटा उसार दें। इसके बाद उस नींबू को चार भागों में इस प्रकार काटें कि वह नीचे से जुड़े रहें। अब घर से बाहर आकर किसी निर्जन स्थल पर अथवा चौराहे पर फैंक दें। शीघ्र ही सम्बन्धित व्यक्ति नजरदोष की पीड़ा से मुक्त हो जायेगा।
> प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में ऐसे शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, जिन्हें वह स्वयं तो शत्रु नहीं समझता किन्तु दूसरा व्यक्ति अवश्य उसे शत्रु मान लेता है। ऐसी स्थिति अक्सर ही ईष्र्या के कारण उत्पन्न होती है। एक व्यक्ति अपने भरपूर परिश्रम के बल पर बहुत उन्नति करता है, उसके पास धन की कमी नहीं होती, समाज में बहुत सम्मान पाता है। इसके विपरीत कुछ व्यक्ति अपनी अकर्मण्यता के कारण न कोई काम ठीक से कर पाते हैं और न धन एवं समृद्धि का सुखभोग पाते हैं, ऐसी स्थिति में यह व्यक्ति जो उससे प्रत्येक क्षेत्र में आगे निकल जाते हैं,उनसे ईष्र्या करने लगते हैं।प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से उसे हानि देने लगते हैं। दूसरों को हानि देकर इन्हें विचित्र प्रकार का मानसिक सुख प्राप्त होता है। ऐसे प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष शत्रुओं से मुक्ति के लिये अग्रांकित यंत्र उपाय अवश्य करें। इस यंत्र का निर्माण कभी भी किया जा सकता है। इसके लिये सफेद सामान्य कागज तथा लकड़ी के कोयले की स्याही की आवश्यकता रहती है। इसके साथ ही एक बेदाग पीला नींबू भी प्राप्त कर लें। यंत्र का लेखन किसी भी प्रकार की कलम से किया जा सकता है। इसके लिये आप किसी भी आसन पर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठ जायें। कोयले को पीस कर अथवा घिस कर यंत्र लेखन के लिये स्याही बना लें और यंत्र का लेखन कर लें। जहाँ शत्रु का नाम लिखा है, वहां शत्रु का नाम लिख दें। अगर आपको मालूम नहीं है कि आपका शत्रु कौन है तो उसके स्थान पर अज्ञात शत्रु लिख दें। यंत्र निर्माण के पश्चात् यंत्र एवं नींबू दोनों को अगरबत्ती दिखायें। मानसिक रूप से प्रार्थना करें कि इस उपाय के द्वारा ज्ञात-अज्ञात सभी शत्रुओं का नाश होगा। अब यंत्र की चार तह करके एक आलपिन के द्वारा नींबू में लगा दें अथवा यंत्र पर नींबू रख कर काले धागे से बांध दें। अब अगर आपके आस-पास बहते जल का स्रोत है तो इसे वहाँ प्रवाहित कर दें अथवा किसी एकांत स्थान पर सवा फुट गहरा गट्ठा करके यंत्र सहित नींबू को उसमें रखकर वापिस मिट्टी से गड़े को बंद कर दें। घर में प्रवेश करने से पहले हाथ-पैर धोकर आना चाहिये। इसके बाद धीरे-धीरे आपके शत्रुओं का प्रकोप कम होता जायेगा। यह एक प्रभावी एवं अनुभूत प्रयोग है।यंत्र इस प्रकार हैं:-
> कभी-कभी किसी पशु को भी नज़र लग जाया करती है। उदाहरणार्थ एक गाय अन्य गायों की तुलना में अधिक दूध देती है। एक दिन गाय का दूध दूहते समय दूध की मात्रा देख कर कोई व्यक्ति टोक देता है तो समझे कि गाय को इस किसी व्यक्ति की नजर लग गई है। जब कभी किसी पशु को नजर लगती है तो वह अनमना सा हो जाता है। गाय को नजर लगने पर वह दूध देना बंद कर देती है या मुश्किल से थोड़ा सा दूध देती है। ऐसी स्थिति में एक हरा नींबू लाकर गाय अथवा सम्बन्धित पशु के गले में एक कपड़े में बांधकर काले डोरे से लटका दें। एक दिन एवं रात्रि पर्यन्त वह गले में लटका रहे। दूसरे दिन उस नींबू को निकालकर 2 फांक कर दें। दोनों हाथों में एक-एक टुकड़ा ले लें। फिर घर के बाहर निकल कर दाहिने हाथ का टुकड़ा बायीं तरफ तथा बायें हाथ का टुकड़ा दाहिनी तरफ फेंक दें। ऐसा 2-3 बार करने से नजर पूरी तरह उतर जाती है।
नींबू का वास्तु में महत्व
नींबू के पौधे में कांटे होते हैं। वास्तुशास्त्र में कांटों वाले पौधों को घर में रखना अशुभ माना जाता है। नींबू इसका अपवाद है। नींबू के पौधों का घर में होना शुभ होता है। इसे पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ लगाया जा सकता है।
नींबू का औषधीय महत्त्व
नींबू विटामिन-सी का प्रमुख स्रोत है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अम्लीय होने पर भी पित्तशामक है। इसकी एक विलक्षण विशेषता यह है कि अन्य फल जहाँ पकने पर मीठे हो जाते हैं, वहीं नींबू अपनी प्रत्येक अवस्था में अम्लीय ही रहता है। नींबू कृमिनाशक है, पेटदर्द को दूर करता है। इसके साथ-साथ वात, पित्त, काम तथा पीड़ा आदि में काफी लाभ देता है। नींबू को स्वास्थ्य की दृष्टि से एक अमृत औषधि माना जा सकता है। इस छोटे से नींबू में गुणों का सागर समाया हुआ है। यहाँ पर अत्यन्त संक्षित रूप से इसके कुछ विशिष्ट औषधीय उपायों के बारे में बताया जा रहा है:-
> स्वास्थ्य संरक्षण के लिये यह प्रयोग अत्यन्त लाभदायक है। एक गिलास हल्का गुनगुना जल ले लें। इसमें एक नींबू का रस निचोड़ कर एक अथवा दो चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इसमें स्वाद के अनुसार कुछ सैंधा नमक भी मिलाया जा सकता है।
> कब्ज एक ऐसा आम रोग हो गया है जिससे अधिकांश व्यक्ति पीड़ित रहते हैं। जब कब्ज बनी रहकर पुरानी हो जाती है तो अत्यन्त कष्टकारक हो जाती है। ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करके लाभ लिया जा सकता है- एक अंजीर, तीन मुनक्का और 50 ग्राम किशमिश को लगभग 250 मि.ली. जल में रात को भिगो दें। प्रात: उठने पर इन्हें अच्छी प्रकार से मसल कर छान लें और इसमें एक नींबू का रस निचोड़ कर सेवन करें।इसके सेवन से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और पुरानी कब्ज से भी मुक्ति मिलती है। यह एक अत्यन्त लाभकारी प्रयोग है।
> मोटापा अच्छे स्वास्थ्य के लिये अभिशाप का काम करता है। असंख्य लोग मोटापे से मुक्ति के लिये उपचार कराते देखे जा सकते हैं। मोटापे से पीड़ित व्यक्ति को सुबह-सुबह खाली पेट 250 मि.ली. हल्के गर्म जल में एक नींबू का रस व दो चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से पीना चाहिये। ऐसा करने के साथ-साथ गरिष्ठ भोजन से दूर रहें।
> नींबू भोजन के प्रति अरुचि को दूर करता है। भोजन करने की इच्छा न होना अथवा भोजन के प्रति रुचि न होना अधिकांश लोगों की समस्या बनती जा रही है। ऐसी स्थिति में यह प्रयोग करें-एक गिलास जल लेकर उसमें एक नींबू का रस निचोड़ लें, इसके साथ ही 1-2 लौंग और 2-3 कालीमिर्च को पीस कर मिला लें और पी जायें। इसमें रुचि के अनुसार काला नमक भी मिलाया जा सकता है। ऐसा करने से अरुचि की शिकायत दूर होगी। इसके अतिरिक्त एक नींबू को काट कर उसके ऊपर थोड़ा काला नमक डालकर चूसने से भी अरुचि की शिकायत दूर होती है।
> भूख नहीं लगना अथवा मंदारिन की स्थिति में भी नींबू लाभकारक है। एक कप जल लेकर उसमें एक नींबू का रस निचोड़ लें। इसके साथ ही एक चम्मच अदरक का रस इसमें मिला लें। अब स्वाद के अनुसार थोड़ा काला नमक मिलाकर पी जायें। ऐसा आप भोजन करने से 1-2 घंटा पूर्व करें। इससे खुलकर भूख लगेगी और भोजन का पाचन भी ठीक प्रकार से होगा।
> स्वास्थ्य के साथ-साथ नींबू का प्रयोग अन्य परिस्थितियों में भी किया जाता है यह भी आप सभी के लिये लाभदायक है, जो इस प्रकार है-
- कील-मुँहासे मिटाने में नींबू का प्रयोग अत्यन्त लाभ देता है। नींबू एवं तुलसी के रस को मिलाकर लगाने से मुँहासे मिटते हैं।
- अण्डे की सफेदी में एक नींबू का रस डालकर ठीक से मिला लें। अब इस मिश्रण को हल्के हाथों से चेहरे पर लगा लें। कुछ देर इसे लगा रहने दें, फिर गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से चेहरे की चमक बढ़ती है, निखार आता है।
- सूखे आंवलों को पीसकर उसका बारीक पाउडर बना लें। इसमें नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे बालों में लगायें। इससे बालों की रूसी मिटेगी और अगर बाल झड़ते हैं तो उनका झड़ना रुक जायेगा।
नीबू का दिव्य प्रयोग
अनेक व्यक्तियों को रात्रिकाल में भयानक स्वप्न आते हैं। अनेक व्यक्ति किसी बुरी नज़र अथवा दुरात्माओं का शिकार हो जाते हैं। इस कारण से वे मानसिक तनाव में आ जाते हैं। ऐसे लोगों के लिये यह प्रयोग संजीवनी के समान है। इस प्रयोग में एक छोटा हरा नींबू ले लें। जिस व्यक्ति को कष्ट हो उसके तकिये के नीचे अथवा सिरहाने की तरफ गद्दे के नीचे रख दें। उसे वहीं रखा रहने दें। उसे नित्य एक बार देखते रहें। जब वह सूख जाये तब उसे सड़क पर फेंक दें तथा उसके स्थान पर दूसरा नींबू रख दें। यही प्रक्रिया 5 नींबू तक दोहरायें। इसके प्रभाव से सम्बन्धित व्यक्ति को दुःस्वप्न आना बंद हो जाता है तथा उस पर से बुरी आत्माओं का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
इस प्रयोग से मात्र एक नींबू ही नज़र उतार देता है अतः नज़र हेतु तो यह प्रयोग मात्र एक बार ही करना काफी है।
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- उपयोगी हैं - वृक्ष एवं पौधे
- जीवनरक्षक जड़ी-बूटियां
- जड़ी-बूटियों से संबंधित आवश्यक जानकारियां
- तुलसी
- गुलाब
- काली मिर्च
- आंवला
- ब्राह्मी
- जामुन
- सूरजमुखी
- अतीस
- अशोक
- क्रौंच
- अपराजिता
- कचनार
- गेंदा
- निर्मली
- गोरख मुण्डी
- कर्ण फूल
- अनार
- अपामार्ग
- गुंजा
- पलास
- निर्गुण्डी
- चमेली
- नींबू
- लाजवंती
- रुद्राक्ष
- कमल
- हरश्रृंगार
- देवदारु
- अरणी
- पायनस
- गोखरू
- नकछिकनी
- श्वेतार्क
- अमलतास
- काला धतूरा
- गूगल (गुग्गलु)
- कदम्ब
- ईश्वरमूल
- कनक चम्पा
- भोजपत्र
- सफेद कटेली
- सेमल
- केतक (केवड़ा)
- गरुड़ वृक्ष
- मदन मस्त
- बिछु्आ
- रसौंत अथवा दारु हल्दी
- जंगली झाऊ